A REVIEW OF BHOOT KI KAHANI

A Review Of bhoot ki kahani

A Review Of bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

बहुत पुरानी बात है तब पानी के ज्यादा शाधन नहीं हुआ करते लोग कुए बाबड़ी तालाब आदि से पानी पिया करते थे! तो यह कहानी […]

भूत प्रेतों से जुड़ी तीन सच्ची कहानियां 

मुझे लगा कि वह उसकी आत्मा होगी । तभी प्रीति के पापा ने मुझे दिखाया कि देख लो उसकी तस्वीर पर माला पड़ा हुआ था। तभी मैं भागकर अपने घर पहुंचा फिर मैंने उस चिट्ठी को जला दीया .

 मेरे मन मैं अब एक ही बात चल रही थी की वो औरत कौन थी? क्या वो मेरी बाइक से गिर गई या फिर वो मेरे बाइक से उतर कर चली गई थी ?

प्रसाद ने रमेश उसकी घबराहट की वजह पूछी तो रमेश संत खड़ा था। अरे रमेश, क्या हुआ? इतना घबराए हुए क्यों हो? प्रसाद ने उसे बताया कि आज उसे आने में देरी हो गई, क्योंकि उसकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी। यह बात सुनकर रमेश को धक्का लगा। वह भागता हुआ रूम में गया। उसने देखा कि प्रसाद डेस्क पर बैठा हुआ था और अपना काम कर रहा था। उसने कमरे से बाहर जाकर देखा तो वहां कोई भी नहीं था।

kha jata hai ki raat 2 baja har ek place ka change off kar ke mirror ke samne three baar bloody mary ka naam pokaro to vo zaroor aati hai for every ye challenge tabhi effective hota hai jab ghar for each koi na ho

Bijay ..mujhe nh lagta ghost hai bol k sb pehele se Hello dar chuke Hello so hum b darjate ..agar rat ko ap ko ek jaga me chhoddiaa jae to ap bna dare so jaoge ..par ap ko pata hai ki o samsan ghat hai so ap jite g mar jaoge ….

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ये किस्सा रीवा जिले का हैं। हम जनता कॉलोनी में रहा करते थे। यही पर हमारी एक बिलडिग थी, इस बिल्डिंग को पामेल बिल्डिंग के […]

बच्चों ने मिलकर उस मंत्र को पड़ना शुरू किया। अचानक से एक रोशनी घर के अंदर आई और उस भुत को साथ ले गई। भुत के घर से बाहर जातेहि घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां अपने आप खुल गई और बच्चे दौर कर बाहर निकल आये।

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क्योंकि उनको जोर से नींद आ रही थी । और वह थोड़े नींद में भी थे । यहां तक कि कोई ने मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया । तो मेने सोचा कि आज रात मैं मम्मी पापा के साथ ही सो जाता हूं ।

उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं। प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया।

ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है

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